इज़राइल-ईरान तनाव चरम पर: इज़राइल के हमले में 95 घायल, ईरान ने कहा “युद्ध की घोषणा”
13 जून 2025: पश्चिम एशिया एक बार फिर तनाव के चरम पर पहुँच चुका है। शुक्रवार को इज़राइल द्वारा ईरान पर किए गए ‘पूर्व-खतरनाक’ (pre-emptive) हवाई हमलों ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है। इन हमलों में ईरान की राजधानी तेहरान सहित कई महत्वपूर्ण सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया है। ईरान ने इसे “युद्ध की घोषणा” करार दिया है और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

क्या हुआ इज़राइल-ईरान के बीच?
शुक्रवार तड़के इज़राइल ने पुष्टि की कि उसने ईरान के खिलाफ एक बड़ा सैन्य ऑपरेशन शुरू किया है। इज़राइली सैन्य सूत्रों के अनुसार, यह हमला उन ठिकानों पर किया गया जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सैन्य क्षमता से जुड़े हुए थे। अधिकारियों ने बताया कि ईरान के पास इतने परमाणु पदार्थ हैं कि वह कुछ ही दिनों में 15 परमाणु बम तैयार कर सकता है।
ईरान का तीखा जवाब
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान ने कहा कि इज़राइल को इस “मूर्खतापूर्ण” कार्रवाई का पछतावा होगा। उन्होंने कहा कि “इस्लामी गणराज्य का जवाब शक्तिशाली और वैध होगा और यह दुश्मन को पछताने पर मजबूर करेगा।”
ईरान ने यह भी पुष्टि की है कि इज़राइल के हमले में रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के मिसाइल कार्यक्रम प्रमुख जनरल आमिर अली हाजीज़ादेह मारे गए हैं। हाजीज़ादेह ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल शक्ति का प्रमुख चेहरा थे।
इज़राइल और ईरान के बीच युद्ध: 2025 में बढ़ते तनाव और संघर्ष की पूरी जानकारी
मध्य पूर्व में इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक राजनीति और सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डाला है। 13 जून 2025 को इज़राइल द्वारा ईरान पर किए गए हमले ने इस संघर्ष को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। आइए जानते हैं इस संघर्ष के प्रमुख घटनाक्रमों और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।

संघर्ष का ऐतिहासिक संदर्भ
इज़राइल और ईरान के बीच संघर्ष की जड़ें 1979 की इस्लामी क्रांति से जुड़ी हैं, जब ईरान ने इज़राइल को एक प्रमुख दुश्मन के रूप में देखा। इसके बाद से दोनों देशों के बीच कई छिपे और खुले संघर्ष हुए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं:
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2010 में सटक्सनेट साइबर हमला: यह हमला इज़राइल और अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बाधित करने के लिए किया गया माना जाता है।
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2021 में नतांज़ परमाणु सुविधा पर हमला: इज़राइल ने ईरान के नतांज़ परमाणु संयंत्र पर हमला किया, जिससे ईरान की यूरेनियम संवर्धन क्षमता को नुकसान पहुँचा।
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2024 में तेहरान में हिज़बुल्लाह और हामस नेताओं की हत्याएँ: इज़राइल द्वारा इन नेताओं की हत्याओं के बाद, ईरान ने प्रतिशोध में इज़राइल पर मिसाइल हमले किए।
13 जून 2025 का हमला: ऑपरेशन राइजिंग लायन
13 जून 2025 को इज़राइल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन के तहत ईरान पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए। इन हमलों में ईरान के प्रमुख परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें इस्फ़हान, खोन्दाब और ख़ोरामाबाद शामिल हैं। हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख होसैन सलामी और मिसाइल कार्यक्रम प्रमुख जनरल आमिर अली हाजीज़ादेह की मौत हो गई। इस हमले में 78 से अधिक लोग मारे गए और 329 से अधिक घायल हुए।en.wikipedia.org
ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान ने इस हमले को “युद्ध की घोषणा” मानते हुए जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है। राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान ने कहा कि ईरान इस हमले का “शक्तिशाली और वैध” जवाब देगा। ईरान ने अपने इंटरनेट नेटवर्क पर अस्थायी प्रतिबंध भी लगाए हैं।
वैश्विक प्रतिक्रिया
अमेरिका की प्रतिक्रिया
हालांकि अमेरिका ने इस हमले में किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया है, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को बयान दिया था कि “इज़राइली हमला किसी भी समय हो सकता है।”
फ्रांस का बयान
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार को स्वीकार करते हुए सभी पक्षों से अधिकतम संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि “क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डालने से बचने के लिए सभी को सतर्क रहना चाहिए।”
पाकिस्तान और तुर्की की निंदा
पाकिस्तान ने इज़राइल के हमलों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह हमला ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन है और यह अंतर्राष्ट्रीय कानून के खिलाफ है। पाकिस्तान ने कहा, “ईरान को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है।”
वहीं तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोआन ने इज़राइल पर “डाकूगिरी” (banditry) का आरोप लगाया और कहा कि यह हमला पूरी दुनिया को तबाही की ओर धकेल सकता है। उन्होंने वैश्विक समुदाय से इज़राइली आक्रामकता को रोकने की अपील की।

सुरक्षा की दृष्टि से इंटरनेट बंद
ईरान के संचार मंत्रालय ने घोषणा की है कि देश में इंटरनेट पर अस्थायी प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसका उद्देश्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और अफवाहों को फैलने से रोकना है।
वैश्विक शेयर बाजारों पर प्रभाव
मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के कारण चीन और हांगकांग के स्टॉक मार्केट में गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों ने सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख किया।
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शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में 0.75% की गिरावट आई।
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हांगकांग का हैंग सैंग इंडेक्स 0.59% गिरा।
नाटो का रुख
नाटो महासचिव मार्क रूटे ने कहा कि इज़राइल का यह हमला एकतरफा था और अब अमेरिका सहित सभी नाटो सहयोगियों की जिम्मेदारी है कि स्थिति को शांत करने के लिए मिलकर काम करें।
निष्कर्ष: क्या यह विश्व युद्ध की आहट है?
इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। दोनों देशों की सैन्य शक्ति और उनकी रणनीतिक स्थिति को देखते हुए, यदि यह संघर्ष और आगे बढ़ता है, तो यह न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरी दुनिया को अस्थिर कर सकता है।
अब सबकी नजरें अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय ताकतों पर हैं – क्या वे समय रहते इस संकट को रोक पाएंगे, या दुनिया एक और बड़े युद्ध की ओर बढ़ रही है?