ईरान का अमेरिका और इज़राइल को 1 करारा जवाब: मध्य पूर्व में युद्ध का नया मोड़ grow and fall

ईरान  तेहरान/गिलान:
मध्य पूर्व इन दिनों एक गहरे संकट के दौर से गुजर रहा है। हालात इतने तनावपूर्ण हो चुके हैं कि अब ये टकराव केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि यह एक बड़े युद्ध की आशंका की ओर इशारा कर रहा है।

ईरान का अमेरिका और इज़राइल

अमेरिकी हमलों के बाद भड़का ईरान, इज़राइल पर मिसाइलों की बरसात 
अमेरिका द्वारा ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों — फोर्दो, नतांज और इस्फहान — पर हमले के बाद, ईरान ने भी इज़राइल पर जवाबी हमले शुरू कर दिए हैं। सोमवार सुबह से ही इज़राइल के कई इलाकों में मिसाइल और ड्रोन हमलों की आवाजें गूंजने लगीं। दक्षिणी इज़राइल के अशदोद और लाचिश जैसे क्षेत्रों में बमबारी से भारी नुकसान की खबरें हैं।

ईरान की सेना के प्रवक्ता इब्राहीम जोलफगारी ने कहा कि यह जवाबी कार्रवाई सिर्फ एक शुरुआत है। उनके शब्दों में,

“अमेरिका ने ज़ायोनी शासन को बचाने के लिए हमला किया, लेकिन अब हमारी सेना के वैध लक्ष्य और भी व्यापक हो चुके हैं।”

इतना ही नहीं, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सीधे संबोधित करते हुए उन्होंने कहा:

“गैंबलर ट्रंप, तुम युद्ध शुरू कर सकते हो, पर खत्म हम करेंगे।”

ईरान का अमेरिका को दो टूक संदेश
ईरान के सशस्त्र बलों के नए चीफ ऑफ स्टाफ अब्दुल रहीम मूसवी ने साफ कहा है कि अमेरिका ने ईरान की संप्रभुता पर हमला करके खुद को इस युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल कर लिया है।उनका कहना था: “अब हमारे हाथ खुले हैं, और हम अमेरिका के सैन्य हितों को निशाना बनाने में पीछे नहीं हटेंगे।”

ईरान का अमेरिका और इज़राइल

इज़राइल का जवाब: तेहरान समेत कई शहरों पर जबरदस्त बमबारी 
जवाबी कार्रवाई में इज़राइली वायुसेना ने ईरान के कई सैन्य और हवाई ठिकानों को निशाना बनाया। तेहरान के मेहराबाद एयरपोर्ट से लेकर करमांशाह में मिसाइल लॉन्च साइट तक बमबारी की गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक कई पुराने फाइटर जेट और अंडरग्राउंड बंकर भी इन हमलों में नष्ट हो गए।

दोपहर होते-होते, राजधानी तेहरान और करज में जब बम गिरे तो आसमान में काले धुएं के बादल छा गए। ईरान के सरकारी टेलीविजन की लाइव फीड भी कुछ समय के लिए बंद हो गई। खबर है कि रेड क्रेसेंट की एक इमारत, एविन जेल और शहीद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी को भी नुकसान पहुंचा।

परमाणु ठिकानों पर दोबारा हमला, जनता डरी लेकिन सरकार ने कहा ‘कोई खतरा नहीं’
सोमवार को एक बार फिर फोर्दो स्थित परमाणु सुविधा पर हमला हुआ, हालांकि हमले की पुष्टि के बावजूद यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि इसके पीछे कौन है। क़ोम प्रांत के अधिकारी ने बयान में कहा कि आसपास के नागरिकों को कोई तत्काल खतरा नहीं है।

400 से ज़्यादा आम नागरिकों की मौत, और बढ़ता दर्द
ईरानी स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इज़राइल की हालिया कार्रवाई में अब तक 400 से अधिक आम नागरिकों की जान जा चुकी है। वहीं, इज़राइल का दावा है कि ईरान की मिसाइल और ड्रोन हमलों में उनके यहां 24 लोग मारे गए हैं।

होरमुज़ जलडमरूमध्य: अगला मोर्चा?
ईरान के वरिष्ठ अधिकारियों ने संकेत दिया है कि यदि अमेरिका हमले जारी रखता है, तो वे फारस की खाड़ी के सबसे संवेदनशील क्षेत्र — होरमुज़ जलडमरूमध्य — को बंद करने पर विचार कर सकते हैं। साथ ही, यह भी चर्चा है कि ईरान परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से बाहर निकल सकता है और IAEA के साथ सहयोग समाप्त कर सकता है।

यमन के हौथी विद्रोहियों की चेतावनी: लाल सागर में फिर से बढ़ सकती है अशांति
ईरान के करीबी यमन स्थित हौथी समूह ने भी चेताया है कि यदि अमेरिका खुलकर इज़राइल का समर्थन करता रहा, तो वे लाल सागर में समुद्री जहाजों को फिर से निशाना बनाना शुरू कर देंगे। उनका कहना है कि गाज़ा में 56,000 से ज़्यादा फिलिस्तीनियों की मौत के बाद अब चुप रहना मुश्किल है।

ईरान का अमेरिका और इज़राइल

राजनयिक हलचलें: ईरान के विदेश मंत्री रूस पहुंचे, UNSC में मंथन
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची सोमवार को रूस पहुंचे और राष्ट्रपति पुतिन से मिले। उन्होंने कहा कि रूस की अमेरिका की आलोचना सराहनीय है, लेकिन अब वक्त है कि यह आलोचना केवल शब्दों तक सीमित न रहे, बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में ठोस कार्रवाई हो।

इसी कड़ी में, सोमवार देर रात UNSC की तीसरी आपात बैठक बुलाई गई, जहां संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने क्षेत्रीय स्थिति पर गहरी चिंता जताई और तत्काल संघर्षविराम की अपील की।

ईरानी मीडिया का गुस्सा, जनता का आक्रोश
ईरान के अखबारों ने अपने पहले पन्ने पर अमेरिका और इज़राइल की निंदा करते हुए तीखे शीर्षक छापे। ‘कायहान’ अखबार ने लिखा:

“ईरानी खैबर शिकन मिसाइलों ने इज़राइल को जला डाला।”

जबकि ‘हम-मीहान’ ने ट्रंप की तस्वीर को राक्षसी रूप में छापा और लिखा कि अमेरिका धमकाने की नीति से युद्ध भड़काने में लगा है। ‘शरक़’ अखबार ने लिखा:

“हैलो वर्ल्ड, हम यहां हैं।”
यह वाक्य उन आम नागरिकों की व्यथा का प्रतीक बन गया है, जो इस संघर्ष का सबसे बड़ा शिकार हैं।

क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की आहट है? ईरान 

जो शुरुआत एक कूटनीतिक तनाव से हुई थी, वह अब एक भयावह युद्ध में बदलती जा रही है। परमाणु ठिकानों पर हमले, बमबारी से तबाह शहर, सैकड़ों नागरिकों की मौत — यह सब केवल एक देश या क्षेत्र की समस्या नहीं रही।

ईरान का अमेरिका और इज़राइल

अब ज़रूरत है एक वैश्विक एकजुटता की — जहां कूटनीति, संवाद और संयम से काम लिया जाए। वरना यह संघर्ष वह आग बन सकता है जो पूरी दुनिया को जला डाले।

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