भारतीय अर्थव्यवस्था में जबरदस्त उछाल: मार्च तिमाही में GDP 7.4% की दर से बढ़ी

भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर अपनी मजबूती का प्रमाण दिया है। वित्त वर्ष 2025 की मार्च तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.4% की दर से वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि बीते साल की इसी अवधि की तुलना में काफी अधिक है। यह आंकड़ा न सिर्फ पिछली तिमाही के संशोधित 6.4% के मुकाबले तेज़ है, बल्कि बाज़ार की 6.7% की उम्मीदों से भी कहीं ऊपर रहा। यह पूरे वित्त वर्ष में सबसे तेज़ विकास दर है और यह संकेत देती है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने सुस्ती के दौर से उबरते हुए फिर से रफ्तार पकड़ ली है।

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खाद्य और ऊर्जा कीमतों में गिरावट बनी सहायक

इस तेज़ आर्थिक वृद्धि के पीछे कई अहम कारण रहे हैं। सबसे पहले, खाद्य और ऊर्जा उत्पादों की कीमतों में गिरावट ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने में मदद की, जिससे रिज़र्व बैंक को बेंचमार्क ब्याज दरों को नियंत्रित करने का मौका मिला। कम ब्याज दरों ने निवेश को बढ़ावा दिया और व्यवसायिक गतिविधियों में नई ऊर्जा का संचार किया।

निवेश और उपभोग में आया ज़बरदस्त उछाल

मार्च तिमाही के दौरान स्थिर पूंजी निर्माण (Gross Fixed Capital Formation) में 9.4% की वृद्धि हुई, जो कि लगभग दो वर्षों की सबसे तेज़ वृद्धि है। यह दिखाता है कि निजी और सरकारी दोनों ही स्तर पर निवेश को लेकर उत्साह बना हुआ है। इसके अलावा, निजी खपत (Private Consumption) में भी 6% की वृद्धि देखी गई, जो देश की घरेलू मांग की मज़बूती को दर्शाता है।

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वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बावजूद मजबूती

जब दुनिया के कई बड़े देश वैश्विक मंदी और व्यापारिक प्रतिबंधों की आशंकाओं से जूझ रहे हैं, भारत की अर्थव्यवस्था ने इस वैश्विक दबाव से खुद को लगभग अछूता रखा है। इसका बड़ा कारण है भारत की अपेक्षाकृत कम निर्यात-निर्भरता। यही वजह है कि वैश्विक व्यापार में उतार-चढ़ाव का भारत पर सीमित असर पड़ा है।

निर्यात बढ़ा, आयात में भारी गिरावट

मार्च तिमाही में निर्यात में 3.9% की वृद्धि देखी गई, जबकि आयात में 12.7% की भारी गिरावट दर्ज की गई। इस वजह से शुद्ध विदेशी मांग (Net Foreign Demand) ने GDP में सकारात्मक योगदान दिया। आयात में गिरावट से व्यापार घाटा कम हुआ और विदेशी मुद्रा भंडार पर भी दबाव नहीं पड़ा।

पूरे वित्त वर्ष का हाल

हालांकि मार्च तिमाही का प्रदर्शन प्रभावशाली रहा, लेकिन पूरे वित्त वर्ष 2025 में भारतीय GDP 6.5% की दर से ही बढ़ सकी। यह दर पिछले चार वर्षों में सबसे कम रही है, जो यह दर्शाती है कि वर्ष की शुरुआती तिमाहियों में विकास की रफ्तार थोड़ी धीमी रही। इसके बावजूद, वर्ष के अंत में देखी गई तेज़ी एक सकारात्मक संकेत है और आने वाले वित्तीय वर्ष में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है।

📊 तिमाही प्रदर्शन: निर्माण और सेवा क्षेत्रों का योगदान

मार्च तिमाही में GDP की 7.4% वृद्धि मुख्य रूप से निर्माण (10.8% वृद्धि) और सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं (8.7% वृद्धि) क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन के कारण हुई। वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में भी 7.8% की वृद्धि दर्ज की गई ।

🛍️ निजी खपत और निवेश में सुधार

वित्त वर्ष 2024-25 में निजी अंतिम खपत व्यय (PFCE) में 7.2% की वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष की 5.6% वृद्धि से अधिक है। यह ग्रामीण मांग में सुधार और उपभोक्ता विश्वास में वृद्धि को दर्शाता है ।

🌐 वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूती

वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताओं और अमेरिकी टैरिफ के बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था ने मजबूती दिखाई है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन के अनुसार, भारत की आर्थिक गति मार्च तिमाही में बढ़ी और अप्रैल में भी जारी रही, जिससे यह संकेत मिलता है कि देश की अर्थव्यवस्था स्थिर वृद्धि और कम मुद्रास्फीति के वातावरण में है ।

📉 पूरे वित्त वर्ष में धीमी वृद्धि

हालांकि चौथी तिमाही में तेज़ वृद्धि देखी गई, पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में GDP वृद्धि दर 6.5% रही, जो पिछले वर्ष की 9.2% वृद्धि से कम है। यह दर्शाता है कि वर्ष की शुरुआत में आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती थी, जिसे वर्ष के अंत में सुधार ने कुछ हद तक संतुलित किया ।

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🔮 आगे की राह

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, भारत 2025-26 के अंत तक जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। इसके लिए निरंतर 8% की वार्षिक वृद्धि दर आवश्यक होगी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है, जो कि स्थिर मुद्रास्फीति और अनुकूल मौद्रिक नीति के चलते संभव है ।

निष्कर्ष

भारत की अर्थव्यवस्था ने मार्च तिमाही में जिस तरह की मजबूती दिखाई है, वह न सिर्फ घरेलू नीति निर्माताओं के लिए उत्साहवर्धक है, बल्कि वैश्विक निवेशकों को भी आकर्षित करने वाला है। निवेश, खपत और निर्यात के तीनों प्रमुख क्षेत्रों में सुधार से यह स्पष्ट है कि भारत एक मज़बूत और संतुलित आर्थिक पुनरुद्धार की राह पर है। आने वाले महीनों में यदि मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहती है और वैश्विक हालात स्थिर बने रहते हैं, तो भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में अपना स्थान और पुख्ता कर सकता है।

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