भारतीय अर्थव्यवस्था रिजर्व बैंक (RBI) की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट ने देशवासियों के लिए एक उत्साहवर्धक संदेश दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था 2025-26 के दौरान भी विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। यह उपलब्धि ऐसे समय में हासिल हो रही है जब वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं।
RBI की इस रिपोर्ट में भारत की आर्थिक मजबूती के चार प्रमुख स्तंभों का उल्लेख किया गया है — निजी उपभोग में वृद्धि, बैंकों और कॉर्पोरेट्स की मजबूत बैलेंस शीट्स, वित्तीय स्थिति में सुधार, और सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) पर जोर।
आर्थिक विकास की कुंजी: उपभोग और निवेश
RBI का मानना है कि निजी उपभोग (Private Consumption) में हाल के महीनों में जो सकारात्मक रुख देखने को मिला है, वह आगे चलकर भारत की जीडीपी ग्रोथ को मजबूती प्रदान करेगा। विशेषकर, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बढ़ती क्रय शक्ति, डिजिटल पेमेंट्स की व्यापकता और ई-कॉमर्स के विस्तार ने घरेलू मांग को बढ़ावा दिया है।
इसी के साथ, सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में काफी अधिक पूंजीगत निवेश किया जा रहा है। सड़क, रेलवे, बंदरगाह और हवाई अड्डों जैसे क्षेत्रों में भारी निवेश देश की लॉजिस्टिक क्षमताओं को बढ़ा रहा है, जिससे व्यापार और निर्माण क्षेत्र को नई ऊर्जा मिल रही है।
बैंकिंग और कॉर्पोरेट क्षेत्र में मजबूती
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली पहले की तुलना में कहीं अधिक सशक्त और सक्षम है। गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) में गिरावट आई है और क्रेडिट ग्रोथ दर सकारात्मक है। इससे बैंक अब ज्यादा कर्ज देने की स्थिति में हैं, जिससे MSMEs और स्टार्टअप्स को बड़ा फायदा मिल रहा है।
साथ ही, कॉर्पोरेट सेक्टर की बैलेंस शीट भी काफी स्वस्थ स्थिति में है। कोविड के बाद के वर्षों में लागत कटौती, टेक्नोलॉजी अपनाने और मांग में सुधार से निजी कंपनियों की आय में तेजी आई है।
वित्तीय स्थिति में सुधार और निवेश के अवसर
रिजर्व बैंक ने यह भी उल्लेख किया है कि वित्तीय स्थितियों में ढील (Easing Financial Conditions) आने वाले समय में निवेश और खपत को और गति प्रदान करेगी। कम ब्याज दरें, विदेशी निवेशकों का भरोसा और बेहतर क्रेडिट रेटिंग जैसे कारक भारत को वैश्विक निवेश का पसंदीदा गंतव्य बना रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि RBI की यह सकारात्मक रिपोर्ट घरेलू और विदेशी निवेशकों दोनों के लिए एक मजबूत संकेत है कि भारत अब केवल उभरती अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि स्थिर और विश्वसनीय विकास मॉडल बन चुका है।
सरकार की पूंजीगत व्यय नीति बनी गेम चेंजर
2025-26 के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित बजट में पूंजीगत व्यय में बड़ी बढ़ोतरी की गई है। यह निर्णय न केवल रोजगार सृजन में सहायक सिद्ध होगा, बल्कि इससे लंबी अवधि में आर्थिक विकास की गति भी तेज होगी। रेलवे, ग्रामीण सड़क योजना, जल जीवन मिशन और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में निवेश से अर्थव्यवस्था को समग्र रूप से लाभ मिल रहा है।
भारत का भविष्य: आत्मनिर्भर और नवोन्मेषी
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि भारत का आर्थिक भविष्य नवाचार, स्टार्टअप्स और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर आधारित रहेगा। “मेक इन इंडिया”, “डिजिटल इंडिया” और “प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI)” जैसी योजनाएं नए उद्योगों को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन में सहायक हो रही हैं।
निष्कर्ष: विश्व अर्थव्यवस्था में भारत की बढ़ती भूमिका
RBI की वार्षिक रिपोर्ट स्पष्ट संकेत देती है कि भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक आर्थिक मंच पर एक निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है। मजबूत बुनियादी ढांचा, लचीली नीतियां, और युवाओं की भागीदारी भारत को वैश्विक आर्थिक नेतृत्व की ओर अग्रसर कर रही है।
इस रिपोर्ट के आलोक में निवेशक, नीति निर्माता और आम नागरिक सभी को यह भरोसा हो सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था अब टिकाऊ और समावेशी विकास के पथ पर अग्रसर है।