Sohail Doshi के खुलासे से मचा हड़कंप, रिमोट वर्क और हायरिंग ट्रस्ट पर उठे बड़े सवाल
नई दिल्ली — सिलिकॉन वैली में एक भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सोहम पारेख (Soham Parekh), एक बड़े विवाद के केंद्र में आ गए हैं। उन पर एक साथ कई अमेरिकी स्टार्टअप्स में चोरी-छिपे काम (Moonlighting) करने का आरोप है। यह मामला तब सामने आया जब मिक्सपैनल (Mixpanel) के सह-संस्थापक सुहैल दोशी (Suhail Doshi) ने X (पहले ट्विटर) पर इस मुद्दे को उजागर किया।

कौन हैं सोहम पारेख?
सोहम पारेख एक भारतीय टेक प्रोफेशनल हैं, जिनके पास कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई से है और उन्होंने मास्टर्स की डिग्री जॉर्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से प्राप्त की है। उन्होंने Dynamo AI, Union AI, Synthesis और Alan AI जैसी कंपनियों में टेक्निकल और इंजीनियरिंग रोल्स में काम करने का दावा किया है।
लेकिन अब उन पर आरोप है कि उन्होंने इन कंपनियों के साथ-साथ कई अन्य स्टार्टअप्स में भी एक साथ काम किया, और अपनी प्रतिबद्धताओं को लेकर गलत जानकारी दी। यह मामला रिमोट वर्किंग और ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।
Sohail Doshi ने क्या कहा?
Suhail Doshi, जो Playground AI और Mix panel के को-फाउंडर हैं, ने अपने X अकाउंट पर लिखा:
“PSA: there’s a guy named Soham Parekh (in India) who works at 3-4 start ups at the same time. He’s been preying on YC companies and more. Beware.”
उन्होंने दावा किया कि पारेख ने उन्हें भी ठगा और एक हफ्ते के भीतर उन्हें नौकरी से निकालना पड़ा। Doshi ने यह भी कहा कि पारेख अभी भी एक साल बाद तक ऐसा कर रहे हैं और “अब और बहाने नहीं चलेंगे”।
Doshi ने सोहम का CV भी सार्वजनिक रूप से शेयर किया और सवाल उठाए कि उनके वर्क एक्सपीरियंस और रिज़्यूमे में भी फर्जीवाड़ा हो सकता है।
#SohamGate ट्रेंड में क्यों आया?
इस पूरी घटना ने सोशल मीडिया पर तूफान खड़ा कर दिया है। #SohamGate हैशटैग तेजी से ट्रेंड कर रहा है, जिसमें टेक कम्युनिटी दो हिस्सों में बंटी नज़र आ रही है। एक वर्ग मानता है कि वर्क फ्रॉड किसी भी हालत में माफ़ नहीं किया जा सकता, जबकि दूसरे वर्ग का कहना है कि कंपनियों की ओर से भी रिमोट एम्प्लॉइज़ को लेकर उचित जांच नहीं होती।

पारेख ने क्या जवाब दिया?
हालांकि सोहम पारेख ने अब तक इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उन्होंने निजी तौर पर Doshi को मैसेज कर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की। Doshi ने उस बातचीत को सार्वजनिक करते हुए लिखा:
“Soham has reached out… asking for genuine advice since he loves what he does.”
पारेख ने मैसेज में कहा:
“Have I completely sabotaged my career? What can I do to improve my situation? I am also happy to come clean.”
इस मैसेज से साफ है कि पारेख को अपने करियर की चिंता सता रही है और वो स्थिति सुधारना चाहते हैं।
रिमोट हायरिंग और ट्रस्ट पर गहरे सवाल
यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की गलती से कहीं अधिक बड़ी बहस को जन्म देती है। रिमोट वर्क और ग्लोबल हायरिंग के बढ़ते चलन के बीच यह केस दर्शाता है कि कंपनियों को बैकग्राउंड चेक, वर्कलोड मॉनिटरिंग और कॉन्ट्रैक्ट एन्फोर्समेंट पर अधिक ध्यान देना होगा।
अभी तक कोई लीगल एक्शन रिपोर्ट नहीं हुआ है, लेकिन इस केस से स्टार्टअप्स और हायरिंग मैनेजर्स को बड़ा सबक मिला है।
टेक इंडस्ट्री में मूनलाइटिंग का बढ़ता चलन
COVID-19 के बाद वर्क फ्रॉम होम और रिमोट हायरिंग का चलन तेजी से बढ़ा है। इसी के साथ मूनलाइटिंग — यानी एक ही समय में एक से ज़्यादा कंपनियों में काम करना — भी एक गंभीर मुद्दा बन गया है।
भारत में इस मुद्दे पर पहले भी विवाद हुआ है, जैसे कि Wipro और Infosys जैसी कंपनियों ने इसे लेकर सख्त कदम उठाए हैं। लेकिन अब यह वैश्विक मंच पर बहस का मुद्दा बनता जा रहा है।

निष्कर्ष
सोहम पारेख का मामला सिर्फ एक व्यक्ति द्वारा की गई कथित गलती नहीं है, बल्कि यह आधुनिक वर्क कल्चर, रिमोट वर्क और कंपनियों की जांच प्रक्रिया पर गहन विचार का विषय बन चुका है। चाहे पारेख की मंशा कुछ भी रही हो, इस घटना ने साबित कर दिया है कि टेक इंडस्ट्री में ट्रस्ट और ट्रांसपेरेंसी की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सोहम पारेख इस संकट से कैसे निकलते हैं, और क्या टेक इंडस्ट्री मूनलाइटिंग जैसे व्यवहार को रोकने के लिए कोई नई नीति अपनाती है या नहीं।
अगर आप भी रिमोट वर्किंग से जुड़ी हैं, तो क्या आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है? अपने विचार नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें।